राष्ट्रपति का संबोधन: संकट के बीच राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद को भंग करने और अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की।

तख्तापलट और सैन्य नियंत्रण: सेना ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाकर बांग्लादेश पर नियंत्रण कर लिया।

खालिदा जिया रिहा: पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया को राष्ट्रपति के आदेश से जेल से रिहा कर दिया गया।

शेख हसीना का निर्वासन: हिंसक विरोध के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत भाग गईं और वर्तमान में गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर हैं।

हिंसक विरोध: आरक्षण नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों लोग मारे गए और व्यापक विनाश हुआ।

रात्रि कर्फ्यू लगाया गया: अशांति को नियंत्रित करने के लिए सेना द्वारा आधी रात से सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लगाया गया।

भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने बांग्लादेश के साथ अपनी सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है और स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा है।

वैश्विक प्रतिक्रियाएँ: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने शांति और स्थिरता का आह्वान किया, बांग्लादेश में निष्पक्ष चुनाव कराने का आग्रह किया।

आर्थिक प्रभाव: इस संकट ने व्यापारिक गतिविधियों को बाधित किया और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में निवेशकों के विश्वास को हिला दिया।

सामाजिक तनाव: जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता ने देश के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है, जिससे समुदाय विभाजित हो गए हैं।